Monkeypox: मंकीपॉक्स(Monkeypox) नाम की नई बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन(World Health Organization) ने ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी(Global Health Emergency) बताया है. ऐसे में पहले से ही कोरोना वायरस महामारी से डरे हुए लोग अब इस नई बीमारी से और भी ज्यादा डर गए हैं. लोगों को एक बार फिर से लॉकडाउन, सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रतिबंध और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी समस्याओं की चिंता सताने लगी है.
मंकीपॉक्स वायरस को लेकर फैलने लगी है तमाम तरह की गलतफहमियां:
मंकीपॉक्स नाम के इस नए वायरस को लेकर दुनिया भर में खासकर अपने देश यानी भारत में इस नए वायरस को लेकर कई तरह की गलतफहमियां भी फैलने लगी है. इसे लेकर कोरोनावायरस से समानता, समलैंगिकों को ज्यादा खतरा, शारीरिक संबंध बनाने से मंकीपॉक्स और जांच-टीकाकरण जैसी कई चीजों को लेकर कई तरह के दावे सामने आने लगे हैं. आइए यहां हम आपको बताते हैं मंकीपॉक्स वायरस से जुड़ी गलतफहमियों और उनकी हकीकतों के बारे में.
WHO ने अपनी वेबसाइट पर मंकीपॉक्स को लेकर दी है तमाम जानकारी:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मन की बात वायरस को लेकर अपनी वेबसाइट पर तमाम जानकारियां प्रकाशित की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स बाकी दूसरे संक्रमणों के जितना संक्रामक नहीं है. यह वायरस कोरोनावायरस के जितना संक्रामक नहीं है. मंकीबॉक्स लोगों के बीच कोविड-19 की तरह साहनी और तेजी से नहीं फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि मंकीपॉक्स किसी संक्रमित मरीज या उसके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों के सीधे संपर्क में आने से ही फैलता है. यह वायरस हमारी त्वचा पर हुए किसी घाव या आंख, नाक, मुंह के रास्ते भी शरीर में घुस सकता है.
मंकीपॉक्स वायरस मंकीपॉक्स से संक्रमित जानवरों जैसे बंदर, चूहे या गिलहरियों के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैलता है. लोगों के बीच सांसो से भी इसका संक्रमण फैल सकता है. वहीं, इसका संक्रमण शारीरिक संबंध बनाने से भी फैलता है.
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मंकीपॉक्स जांच की कैसे होती है?
मंकीपॉक्स वायरस की जांच के लिए भी कोविड-19 की तरह ही आरटी पीसीआर टेस्ट किया जाता है. हालांकि, इन दोनों में इन दोनों की जांच में महज इतना फर्क है कि कोविड-19 की जांच के लिए गले या नाक का स्वैब टेस्ट किया जाता है. लेकिन मंकीपॉक्स में शरीर पर उभरे रैश के अंदर के पानी की जांच की जाती है. फिलहाल, एनआईवी पुणे में ही मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा उपलब्ध है.
मंकीपॉक्स के इलाज से जुड़ी सच्चाई:
मंकीपॉक्स वायरस के ज्यादातर मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है. मंकीपॉक्स के मरीजों को जरूरत पड़ने पर दर्द और बुखार के लिए दवाइयां दी जाती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इसके मरीजों को पौष्टिक खाना खाने से खुद को हाइड्रेटेड रखने से और प्राप्त नींद लेने की जरूरत होती है.
मंकीपॉक्स पर काबू पाने के लिए टीकाकरण है उपलब्ध:
स्मॉल पॉक्स के लिए ACAM2000 का एक टीका पहले से ही मौजूद है. डॉक्टर्स और स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि यह वैक्सीन मंकीबॉक्स के खिलाफ भी कारगर होती है. वही मंकीपॉक्स वायरस के रोकथाम और उपचार के लिए JYNNEOSTM नाम की एक और वैक्सीन भी उपलब्ध है. आपको बता दें कि इस वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर कई देशों में मंजूरी मिल चुकी है. इसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है.
भारत में मंकीपॉक्स:
मंकीपॉक्स के केस की बात करें तो भारत में अब तक कुल इसके 4 मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से तीन मामले केरल के हैं और दिल्ली में एक मरीज में मंकीपॉक्स के वायरस की पुष्टि की गई है.